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Monday, December 24, 2012

कुछ क्षणिकायें

याद

हम तो थे परिंदा
हमारी हर उड़ान के साथ
अपने लोग भी हमें
अपने दिलों से
उड़ाते गये
आलम अब ये है की
हम याद भी करें तो 
उनको याद नहीं आते है।। 

जख्म

हमें आदत थी
उनके हर चीज को
सम्हालकर रखने की
उनके दिए हर दर्द को भी
हम दिल में
सम्हालकर रखते गए
और जख्म  खाते रहें।।


इल्जाम 

उनके हर इल्जाम 
हम अपने सर लेते गये
इस उम्मीद में की 
यह होगा
आखिरी इल्जाम ।।

रेत

जबसे रेत पर मैंने
तुम्हारा नाम लिखा है
तुमने छोड़ दिया है 
लहर बनकर 
किनारे तक आना ।।

बगिया के फूल

मेरी बगिया में गिरे 
कोमल फूल 
आज बड़े उदास है
कि वो आये 
और बिन मुस्कराए 
लौट गए 
कहीं उनके 
कोमल पैरों में 
छाले तो नहीं 
पड़ गये होंगे ।।




Monday, December 17, 2012

लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के लिए चंद पंक्तियाँ

आज बेचैन हूँ
पूरा दिन ढूंढ़ता रहा
किताबों का वो पन्ना 
जहाँ लिखा हुआ
कभी पढ़ा था
शहीदों की चिताओं पर
लगेंगे हर वर्ष मेले
मगर नहीं मिला वो पन्ना
कहीं धूल खा रहीं होगी
हमारी याददास्त भी
उन पन्नों की ही तरह
हम भूलते गए उन्हें
उनके परिजन होते रहे
दर-बदर अकेले

कहाँ हमें करना था इन्हें
दिलो-जान से प्यार
हम करते रहें इन्हें
पहचानने से भी इंकार
दिल पर लगे घाव
मां  के बहते आँसू पोंछ
हमें भाई-बहना की
उम्मीद को जगाना था
मगर हमने अदा की कीमत
कुछ को पेट्रोल पम्प
कुछ को गैस एजेंसी
और प्लाट बाँट  
हमने समझा
अपने कर्तव्यों की इतिश्री
वो भी आधे कागजों पर
और आधी हकीकत 

साल में एक बार
ढोल- बाजों के साथ
याद  कर लेना
देशभक्ति के गीत गा लेना
नहीं हो जाता इससे
शहीदों का सम्मान
पता नहीं ये सम्मान
जुबां  से दिल तक कभी
उतर पायेगा या नहीं ......




 ( कारगिल युद्ध 1999 में शहीद होने वाले 4 जाट रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया का जन्म हिमांचल प्रदेश के पालनपुर में 29 जून 1976 में हुआ था . कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान  ने इन्हें इनके पांच साथियों, सिपाही अर्जुन राम ( नागौर , राजस्थान), सिपाही भंवर लाल बागडिया ( सीकर, राजस्थान) सिपाही भीखाराम ( बाड़मेर, राजस्थान ),सिपाही मूलाराम ( नागौर, राजस्थान ) और सिपाही नरेश सिंह ( अलीगढ, उत्तर प्रदेश) के साथ सीमा पर गस्त के दौरान घेरकर अपहरण कर लिया और 22 दिन अपनी कस्टडी में टार्चर  करने के बाद इन्हें मारकर  भारतीय सीमा में फेंक दिया। इन सबको बर्बर यातनाये दी गयी और इनके नाख़ून , आँखे निकाल ली गयी थी और सर धड से अलग करके क्षत- विक्षत हालत में भारतीय सीमा में फेंका गया था .
   इस  घटना के बाद लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के पिता श्री नरेन्द्र कालिया को दिल का दौरा  पड़ा और  कुछ दिनों बाद उनकी नौकरी जाती रही। आजकल वो सरकार  द्वारा  दी गयी एक गैस एजेंसी के सहारे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है। अपने बेटे के कातिलों को सजा दिलवाने के लिए हर तरफ से हारकर और सरकारी रवैये से निराश होकर वे हेग के अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय में इसे ले जाने की कोशिश में लगे है । पाकिस्तानी सेना ने इन युद्ध बंदियों के साथ जो बर्बरतापूर्ण कार्यवाही की वह हर तरफ  से अंतर्राष्ट्रीय संधि और युद्ध अधिनियम का सरेआम उल्लंघन था।

Friday, November 30, 2012

अतिथि तुम कब जाओगे

सर्दी खांसी और जुखाम 
आजकल है ये मेरे मेहमान 
तीन दिनों से पैर टिकाये 
नहीं ले रहे जाने का नाम ।। 

तीनों आये है पूरी तयारी संग
कोई दिखता नहीं किसी से कम  
दिन रात  है इनका पहरा ऐसा 
बंद हुई खुशिओं की दुकान।।

शैतानी इनकी हरदम रहती जारी 
नहीं मानते ये किसी की बात 
जब डाक्टर आकर इनको धमकाता 
ये बन जाते बिलकुल अन्जान।। 

जब ये फरमाते है थोडा आराम 
हमें भी मिलती है थोड़ी राहत 
वरना इनकी जी-हुजूरी में 
फंसी हुई है अपनी जान।। 

बार- बार पूछता हूँ इनसे 
अतिथि तुम कब जाओगे 
ये मुस्कराकर देते है जबाब 
बहुत दिन बाद मिले हो जजमान

सर्दी खांसी और जुखाम 
आजकल है ये मेरे मेहमान ।।

Sunday, November 25, 2012

हरकीरत हीर जी के काव्य संग्रह " दर्द की महक " और "सरस्वती सुमन" पत्रिका के क्षणिका विशेषांक के लोकार्पण की कुछ झलकियाँ


कल 24 नवम्बर को गुवाहाटी प्रेस क्लब में हरकीरत हीर जी के काव्य संग्रह " दर्द की महक " और उनके ही संपादन में निकली देहरादून से प्रकाशित होने वाली  "सरस्वती सुमन" पत्रिका के क्षणिका विशेषांक  का लोकार्पण हुआ। 


 इस अवसर की कुछ झलकियाँ :-

बाये से- श्री आनंद सुमन सिंह , श्री जी एम श्रीवास्तव जी, श्री किशोर जैन जी, श्रीमती सुधा श्रीवास्तव जी और श्रीमती हरकीरत हीर जी 

सरस्वती सुमन के क्षणिका विशेषांक का विमोचन 

हीर जी द्वारा रचित काव्य संग्रह " दर्द की महक" का विमोचन 



"दर्द की महक" का आवरण पृष्ट 

 "दैनिक पूर्वोदय" में ये खबर 


Tuesday, October 23, 2012

कुछ क्षणिकायें



1.   लोकतंत्र 

लोकतंत्र ने पूछा 
इसबार किसपर 
लगाओगे  मुहर
मतदाता  मुस्कराता है
महँगी होगी जिसकी शराब
लोकतंत्र बेचारा 
फिर हो जाता है उदास ।।

2.  असमंजस

भगवान बड़े असमंजस में है
कि किसकी सुने
सौ तोले का सोने का हार
भक्त ने आज ही चढ़ाया है
कि धंधा खूब फले- फूले
भक्त के कसाईखाने में
कटने को तैयार गाय की गुहार थी       
हे भगवन मुझे बचा ले ...।।

3 .  दहेज़-हत्या 

नेताजी का तर्क था
जब सारा देश
नाच सकता है
हमारी उंगुलियों पर 
तब हमारी बहू भला 
क्यों नहीं नाची..?

4.   पीढ़ी-दर-पीढ़ी 

तुम्हारे बाप ने 
जिस जिन्दगी को 
तलाश  किया था 
दूध की कटोरियों में 
तुमने उसी जिन्दगी को पाया 
पेप्सी और कोका-कोला से 
भरी बोतलों में
आज तुम्हाता बेटा ढूंढ़ रहा है
उसी जिन्दगी को 
शराब और बीयर की बोतलों में ।।

5.  जख्म

जिन्दगी पुरी
गुजर गयी
उस एक जख्म को
सिर्फ सहलाने में
जो दे गए थे वो
पल भर के 
मन बहलाने को ।।

6. चुनाव के बाद

अब पाँच  साल तक नंगे  रह लेना
फिर आकर ये साड़ी बाँटेगे
छलकेगें दारू के जाम
तब तक प्यासे रह लेना 
नोटों की अगली बारिश तक
बस कंकड़ - पत्थर गिनते रहना । 

(सरस्वती सुमन के क्षणिका विशेषांक में ये मेरी भी कुछ क्षणिकायें



Saturday, October 13, 2012

बस कुछ यूँ ही (कुछ क्षणिकायें )

गुरुर 

एक मुद्दत के बाद
हम मिले थे
कल एक मोडपर
फिर भी
न पूछे गए
एक दूसरे के
हालचाल
कुछ हम थे व्यस्त
अपने पुराने जख्म
सहलाने में
तो लगा उनमे भी
अभी वाकी था
वही पुराना वाला
गुरुर ।

सफ़र

उनका नज़र मिलाना
और शरमाना
जारी रहा
पुरे सफ़र
फिर न कोई हमें
ठहरा दे
इसबार भी
कसूरवार
पुरे सफ़र
सालता रहा
हमें ये डर ।

नाराजगी 

न कुछ हम कहे
न कुछ वो कहे
वर्षों तक
न जाने
किस बात पर
हम रहे
एक दुसरे से
नाराज

मैयत 

मैयत पर
वो आये मेरी
मै  समझा
चलो अब तो
उनको याद आयी मेरी
कुछ देर यूँ ही टहलते रहे
फिर बड़ी अदा से
मुस्कराकर बोले वो
हम तो यू ही  किये थे
एक मजाक
तुम सच में
चल दिए।


Thursday, October 4, 2012

हिस्सा

लाख कोशिशों के बाद भी
नहीं बचा पाए थे डाक्टर 
स्वास्थ्य मंत्री जी को ,
पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट ने   
सभी को चौकाया था 
मंत्री जी को दी गयी दवा ने 
दवा ने नहीं 
बल्कि जहर का काम किया था ,
मृत्यु की वजह निकली 
नकली दवाइयां ,
स्वास्थ्य विभाग सदमे में है 
मंत्री जी का सचिव उहापोह की स्थिति में है 
की दवा कंपनी से मिला 
इस बार का कमीशन 
खुद ही रख ले या 
फिर मंत्री जी की पत्नी को 
मंत्री जी का हिस्सा 
पहुंचा दिया जाय ....

Sunday, September 9, 2012

कफ़न


मेरे हाथों से 
कफ़न का कपड़ा 
वह छीनकर भागा
पता चला 
उसकी बूढ़ी माँ
कई दिनों से
कंपकपाती ठण्ड में
बिन चादर के  
रात भर 
सो नहीं प़ा रही थी  ।।


Sunday, July 15, 2012

सोशल नेटवर्किंग साइट्स की आभासी दुनिया

           आज समाज का कोई भी वर्ग हो, इंटरनेट एक  महत्वपूर्ण जरुरत बन गया है। यह हम सबके लिए आनलाईन लाइब्रेरी और ज्ञान का भंडार है , मनोरंजन के  ढेरो श्रोत उपलब्ध करता है तो वहीँ जीवन की तमाम बेहद जरुरी चीजों जैसे बिजनेस , बैंकिंग, आनलाइन रिजरवेशन इत्यादि को और भी आसान  बना देता है। मगर इस जरुरत के हिसाब से अगर आप इंटरनेट पर समय व्यतीत  आप करते है तो ठीक है लेकिन अगर सिर्फ टाइम पास करने के लिए फेसबुक , आर्कुट , ब्लॉग और ट्विटर जैसी सोशल साईटों  के आदी  बन चुके है तो यह चिंता का विषय है।

            इन दिनों लोग सोशल नेटवर्किंग साईटों खासकर फेसबुक के एडिक्शन का शिकार हो रहे है। शुरू में इस बात का पता नहीं लगता मगर धीरे धीरे आप इसके आगोश में फँसते जाते है और यह आपके समय पर हावी होता जाता है.  इन  सोशल नेटवर्किंग साईटों में  एक दुसरे से बिना किसी परेशानी के सिर्फ एक क्लिक पर आसानी से जुड़ा  जा सकता है , सबको  समझा जा सकता है और सबसे अपने विचारों को शेयर किया जा सकता है. यह एक आभासी मित्रों की दुनिया होती है जहाँ हम  वास्तविक रूप में अपने दोस्तों से बिना मिले भी मिल लेते है।

          फेसबुक इन सोशल नेटवर्किंग साईटों में आज युवा वर्ग की  पहचान बन चुका है। जैसे यह उनके लिए एक स्टेटस सिम्बल बन गया है  ।  मिलने पर हाय हेलो की जगह पहले फेसबुक आईडी ही पूछा जाने लगा है। ऐसा लगता है की आज जो फेसबुक पर नहीं है उसके लिए अपने दोस्तों के बीच एक हीन  भावना बन  गयी है। आज फेसबुक हमारे समाज में कई तरह के परेशानियों का सबब भी ले कर आ रहा है।

          फेसबुक का सबसे पहला प्रभाव ये पड़ रहा की हमारे आभासी फ्रेंड लिस्ट में जहाँ दोस्तों की संख्या  दिन दुनी रात  चौगनी बढती जा रही है वहीँ वास्तविक दोस्तों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। जो शाम  हम अपने दोस्तों के बीच मस्ती से कभी बिताया करते थे वह समय अब फेसबुक दोस्तों के लिए चला जा रहा है। दोस्त से वास्तविक मुलाकात हुए भले ही महीने बीत चुके हो मगर फेसबुक पर वह रोज मिल जाता है।हमारी तरह वो भी अपने आनलाईन दोस्तों की संख्या में इजाफा करने में लगा रहता है। अगर कहा जाय  की यह दोस्तों का दुश्मन है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

         जहाँ तक मेरा मानना  है इस इन सोशल नेटवर्किंग साईटों की आदत किसी और नशे जैसे  शराब , सिगरेट , गुटके जैसी ही होती है जो न मिले तो बेचैन कर देती है। आज अगर एक सप्ताह नेट ख़राब हो जाय  या किसी अन्य कारण  से से नेट से दूर रहना पड़ जाये तो काफी अकेलापन लगने लगता है . जैसे लगता है की दुनिया से संपर्क हुए वर्षों बीत गए हो। यह धीरे धीरे हमें  अपने नशे का शिकार बना लेता है और इससे दूर होना हमें खलने लगता है। चिडचिडापन आने लगता है और लोगों में फील गुड फील बैद बन जाता है।

          सोशल नेटवर्किंग साईट्स एक खुली किताब की तरह होती है, जहाँ  लोग अपनी पर्शनल बातें जो  किसी से शेयर नहीं कर पाते या कहने में संकोच  करते है , उसे यहाँ  बिना किसी परेशानी के शेयर करते है  ।   अपने पद , प्रतिष्ठा और स्टेटस सिम्बल का लोग खुलकर  बखान करते है अतः इससे जो फेसबुक यूजर्स उस स्टेटस को नहीं पा सकते उनमें हीन  भावना आने लगी है। किसी फ्रेंड  के फ्रेंड लिस्ट में दोस्तों की अधिक संख्या भी  फेसबुक यूजर्स में हीन भावना भरती है की कैसे  मेरे दोस्तों की संख्या कम है और क्यों नहीं बढ़ रही  है। इसके लिए लोग ज्यादा से ज्यादा नेट  पर देने  लगते है  ।   लोगों में होड़ लग जाती है कितने ज्यादा मैटर और फोटो नेट से सर्च करके स्टेटस अपडेट किया जाय ।
       
           इसके  अलावा इन साईट्स पर स्टेटस अपडेट , कमेन्ट और  लाईक को सफलता की कुंजी मान जाता है। जिसे जितने कमेन्ट और लाईक मिले वह उतना ही बड़ा बन जाता है। इससे जो इस साईट्स पर नए है और जिन्हें पर्याप्त कमेन्ट और लाईक नहीं मिल पाते उनमें भी हीन  भावना घर कर लेती है। वैसे इन कमेन्ट और  लाईक   की हकीकत ये होती है की आप जितना देंगे उतना ही आपको बदले में मिलने की सम्भावना ज्यादा रहती है . मगर इसके लिए समय चाहिए जो हर किसी के पास बराबर नहीं।

            इनकी वजह से लोग बेहद जरुरी काम  भी  जल्दी जल्दी निपटा लेते है। लोग घर- परिवार के लिए पहले जितना टाईम  नहीं दे पाते ।   इस चक्कर में कुछ जरुरी काम छूट  भी जाते है। जो समय लोग  नेट पर फालतू में नष्ट कर दे रहे है उन्हें अगर बच्चों के साथ बिताये और घर परिवार के बारे में सोंचे तो ज्यादा बेहतर होगा।
 
            यह लोंगों की  रचनात्मकता को भी ख़त्म करती जा रही है। ज्यादा कमेन्ट और लाईक  के चक्कर में लोग बिना सोंचे समझे दूसरों की प्रोफाईल पर जाकर कमेन्ट और लाईक की झड़ी लगा देते है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं करेंगें तो उनके प्रोफाईल के स्टेटस  पर सूखा ही सूखा पड़ा रहेगा। ऐसे में लोग अपनी रचनात्मक सोंच को छोड़ चापलूसी वाले अंदाज में आ जाते है और जो जितना ज्यादा भ्रमर कर लेता है उनके यहाँ उतने ही भँवरे दस्तक दे जाते है।ऐसे में ये बिना सोंचे समझे लाईक  और कमेन्ट का खेल और ज्यादा से ज्यादा दोस्त बनाने की उत्सुकता  अपनी रचनात्मकता  के हिसाब से अच्छा संकेत नहीं है।

            इन सबके अतिरिक्त इंटरनेट पर  ज्यादा समय बिताना खुद की सेहत के साथ भी खिलवाड़ है। ऐसे लोंगों में नींद पूरी न होने की शिकायत रहती है। रात  में नींद पूरी न होने से पूरे  दिन आफिस और काम  की जगह लोग थके थके से पाए जाते है ।  कमर, गर्दन और हथेलियों का दर्द आम बात बनती जा रही है. आँखों पर असमय ही चश्में आने लगे है।

           अगर आपको भी लगता है की इन  सोशल नेटवर्किंग साईटों  पर समय व्यतीत करते हुए आपको भी इन बातों  का आभास हुआ है  तो अब सम्हालने की बारी आ गयी है। सबसे पहली बात की इनके लिए एक समय निर्धारित करें की बस उसी निश्चित  समय में ही फेस्बुकाई , ब्लागिरी  ट्विटरई  और आरकुटाई  करना है। बाकि समय आपके जरुरी काम - धन्धों   और घर परिवार के लिए रहे। इन सबसे जरुरी की आपके अनुपस्थिति में आपके बच्चे नेट पर क्या कर रहे है इसका लेखा जोखा आपको चुपके चुपके  रखना चाहिए। जरुरत के लिए तो लोग अपने बच्चों को पढाई का हवाला देकर इंटरनेट दिला देते है , अच्छी बात है , मगर फेसबुक और इन साईटों  दे दूर रखना भी पैरेन्ट  की ही जिम्मेदारी है। इसके अलावा कभी कभी बच्चे उत्सुकतावश या अनजाने में गलत साईट  खोल बैठते है और बाद में उसके आदी हो जाते है।

            वास्तविक दोस्तों के बीच  समय बिताना , बातें शेयर करना और एक दुसरे की समस्यायों   को जानना बेहद जरुरी है। वर्चुअल और हकीकत की दुनिया का अंतर समझाना ही सही रहेगा । दूसरों के स्टेटस पर लाईक और कमेन्ट देख अपना  माथा न खुजलाये।   जरुरी कामों को पहले निपटाये । अपने हर मिनट मिनट का हिसाब अपडेट  न करें और अपनी कुछ खाश  नीजी बातों को पब्लिकली शेयर न करें तो अच्छा रहेगा ।   कभी कभी आपकी इन नीजी बातों  और फोटो को गलत प्रयोग भी लोग कर लेते है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स  की इस आभासी दुनिया के आदी  न बने और जरुरत के हिसाब से इंटरनेट को प्राथमिकता  दें और कम से कम सप्ताह में एक दिन ऐसा चुने जो आपका , आपके परिवार का और आपके वास्तविक दुनिया का हो और इन्टरनेट को एक दिन आराम दे।

Wednesday, July 4, 2012

इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग की भाषा

              एक जमाना था की जब लोग लम्बे लम्बे ख़त लिख कर अपनी भावनाओं का इजहार करते थे  और अगले के पास भी इतना समय था की वह इन्हें पढ़ सके . पत्र लिखना भी एक कला  माना  जाता था और लोग अपनी  भावनाओं को उत्कृष्ट शब्दों के माध्यम से दिलों में जगह बनाया करते थे . प्रेमिका अपने प्रेमी के ख़त को बार बार पढ़कर खुश  करती थी।. आज  इंटरनेट की रफ़्तार पर सरपट भागती और बेहद  व्यस्त भाग- दौड़ की जिंदगी  में अब न तो किसी के पास इतना समय रहा लिखने को और न ही किसी के पास पढने  का।

             इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने जिंदगी के मायने बदल दिए है और भावनाओं का इजहार  का  अब बड़े बड़े ख़त नहीं बल्कि अंग्रेजी के छोटे छोटे कुछ  शब्दों ने सम्हाल लिया है . ख़त अब लुप्त प्राय हो रहे है और हो  सकता  है कुछ  दिनों में  सिर्फ देखने की चीज बनकर रह जाये।  ख़त किसी भी पते पर पहुँचने के लिए 10 दिन लग जाते थे मगर अब 10 सेकेंड की  क्लिक पर आपका सन्देश अपनी जगह पहुँच रहा है।. देश तो छोडिये लन्दन, न्यूयार्क और मास्को जैसे शहर भी चंद सेकेण्ड की  क्लिक  पर हाजिर है।.

             समय परिवर्तन लेकर आता है और उसके साथ साथ हर चीज बदलती है . जिंदगी के जीने और   भावनाओं के इजहार का तरीका  भी अछूता नहीं रहा . मन के भावों को व्यक्त करने के लिए जरुरी नहीं  की अब बड़े और लम्बे वाक्य प्रयोग में लाये जाये. भाषा के साहित्यिक पक्ष को धता बताते  हुए इंटरनेट और चैटिंग  की इस भाषा ने अपने लिए  कुछ नए मापदंड तय   किये ।. यह  भाषा किसी एक भाषा की नहीं बल्कि हिंदी और इंग्लिश के गठजोड़ से उपजी कम शब्दों में बड़ी बात कह जाने वाली भाषा है।.  इसके लिए व्याकरण  और साहित्य शास्त्र  के नियम फेल है।.

            इंटरनेट और चैटिंग की भाषा आसानी से अपनी बात कहने का "सबसे तेज " तरीका है . यह  सिर्फ चंद शब्दों और चंद  संकेतों में अपनी पूरी  बात को कह जाती है।. यह भाग-दौड़ की  व्यस्त जिंदगी  में तेजी से आगे बढती हुई भाषा  है. यह एक दोतरफा माध्यम है क्योंकि  ख़त  पढ़ते वक्त ख़त लिखने वाला सामने नहीं रहता जबकि  चैटिंग के समय आपका पार्टनर आपके साथ पल--पल रहता है और कुछ क्षणों में ही आपको जबाब मिल जाता है और आपको भी उतने  ही समय में  जबाब देने की मज़बूरी होती   है  ।.

          मोबाईल और इन्टरनेट के ज़माने की इस भाषा के पीछे लम्बे और बड़े शब्दों को टाईप करने से मुक्ति पाने की कोशिश भी रही होगी . मोबाईल पर इन्हें टाईप करने में समय भी बहुत लगता है . यह भाषा आवश्यकता के अनुसार बदलती रही है। कुछ  शब्द और संकेत इस प्रकार है :-

       
AFAIK -- As Far As I Know
AFC -- Away From Computer
ASAP -- As Soon As Possible
BAS -- Big A** Smile
BBL -- Be Back Later
BBN -- Bye Bye Now
BBS -- Be Back Soon
BF -- Boyfriend
BRB -- Be Right Back
BTW -- By The Way
BWL -- Bursting With Laughter
CID -- Crying In Disgrace
CRBT -- Crying Real Big Tears
CYA -- See You (Seeya)
CYAL8R -- See You Later (Seeyalata)
DLTBBB -- Don't Let The Bed Bugs Bite
EMSG -- Email Message
FC -- Fingers Crossed
FTBOMH -- From The Bottom Of My Heart
FYI -- For Your Information
GAL -- Get A Life
GF -- Girlfriend
GFN -- Gone For Now
GTSY -- Glad To See You
H&K -- Hug and Kiss
HABD -- Have A Better DAY
HAGN -- Have A Good Night
HHIS -- Hanging Head in Shame
IAE -- In Any Event
IC -- I See
IMO -- In My Opinion
IOW -- In Other Words
IRL -- In Real Life
IWALU -- I Will Always Love You
JTLYK -- Just To Let You Know
KIT -- Keep In Touch
KOC -- Kiss On Cheek
KOL -- Kiss On Lips
LHO -- Laughing Head Off
LHU -- Lord Help Us
LMAO -- Laughing My A$$ Off
LMSO -- Laughing My Socks Off
LOL -- Laugh Out Loud
LTNS -- Long Time No See
LUWAMH -- Love You With All My Heart
OIC -- Oh, I See
OL -- Old Lady
OM -- Old Man
OTOH -- On The Other Hand
PM -- Private Message
PMFJI -- Pardon Me For Jumping In
QSL -- Reply
QSO -- Conversation
QT -- Cutie
ROFL -- Rolling On Floor Laughing
SETE -- Smiling Ear To Ear
SOTMG -- Short Of Time Must Go
SWAK -- Sealed With A Kiss
SWL -- Screaming with Laughter
SYS -- See You Soon
TA -- Thanks Again
TCOY -- Take Care Of Yourself
TNT -- Till Next Time
TOY -- Thinking Of You
TTFN -- Ta Ta For Now
TTYL -- Talk To You Later
WB -- Welcome Back
YBS -- You'll Be Sorry
YG -- Young Gentleman
YL -- Young Lady
YM -- Young Man

Some Symbols:-

:-| -- Ambivalent 
o:-) -- Angelic
>:-( -- Angry
|-I -- Asleep
(::()::) -- Bandaid
:-{} -- Blowing a Kiss
\-o -- Bored
:-c -- Bummed Out
|C| -- Can of Coke
|P| -- Can of Pepsi
:( ) -- Can't Stop Talking
:*) -- Clowning
:' -- Crying
:'-) -- Crying with Joy
:'-( -- Crying Sadly
:-9 -- Delicious, Yummy
:-> -- Devilish
;-> -- Devilish Wink
:P -- Disgusted (sticking out tongue)
:*) -- Drunk
:-6 -- Exhausted, Wiped Out
:( -- Frown
\~/ -- Full Glass
\_/ -- Glass (drink)
^5 -- High Five
(( )):** -- Hugs and Kisses
:-I -- Indifferent
:-# -- Lips are Sealed
:~/ -- Mixed Up
:-O -- Mouth Open (Surprised)
**** -- Popcorn
<<{:}} -- Ice cream
:-@ -- Screaming
:-O -- Shocked
:-) -- Smile
^ -- Thumbs Up
:-& -- Tongue Tied
:-\ -- Undecided
;-) -- Wink
|-O -- Yawning
c[T] -- cup of tea
c[C] -- cup of coffee
(%> -- pizza
,,l, -- the finger
 >^-^< -- cats
 (_\_)(_|_)(_/_) -- dancing ass off
:-------) -- Viagra smile


Saturday, June 16, 2012

फेसबुक : जरा संभल के

"फेसबुक : जरा संभल के "

       
      सूचना और क्रांति  के क्षेत्र में आई नयी क्रांति ने देशों की सीमाओं को गौण सा कर दिया है  । पूरा विश्व अब एक विश्व - ग्राम की शक्ल में बदलता जा रहा है । सुदूर गाँव में बैठा मटरू अब मोहनलाल बन न्यूयार्क की स्वेतलाना के संग चैटिंग की हसीन वादियों में विचरण करने लगता है तो अगले ही पल मेलबोर्न की मारिया के संग कम्प्यूटर की की- बोर्ड पर अंगुलियाँ खेलने लगती है। उसकी एक क्लिक पर कभी लन्दन की मेम हाजिर हो जाती है तो अगले पल जापानी हसीन छोरी चैट  के लिए आन लाइन हो जाती है।

               जैसे - जैसे कम्प्यूटर का जाल फैलाना शुरू हुआ और इंटरनेट का विकास हुआ , फेसबुक , आर्कुट, गूगल प्लस जैसे सोशल साईट्स से लोंगों का परिचय हुआ । इसमे फेसबुक ने बहुत ही कम समय में अपार लोकप्रियता हासिल की । इसकी शुरुआत 2004 में अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में मार्क जुकरबर्ग ने की । कुछ ही समय में मार्क जुकरबर्ग देखते ही देखते दुनिया के ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों में शामिल हो नये। सोशलबेकर   नमक एक वेब साईट के अनुसार दुनिया भर में करीब 75 करोड़  के आस - पास फेसबुक यूजर्स है जिसमें अमेरिका  करीब 15 करोड़ के साथ पहले, ब्राजील  4 करोड़ 80 लाख के साथ दुसरे और भारत 4 करोड़ 63 लाख के साथ तीसरे स्थान पर है।








                फेसबुक की इसी लोकप्रियता का फायदा उठाकर कुछ ठ
गों ने फर्जी प्रोफाईल बनाकर सर्वे और चैरिटी के जरिये लोंगों को ठगने का काम शुरू कर दिया है । अभी कुछ ही दिन पहले ज्यादातर लोग एक खास लिंक " हु ब्लाक्ड  यु फ्रॉम हिज प्रोफाईल " , जो ज्यादातर हर प्रोफाईल में दिख जाता था ,के शिकार हुए।  यह लिंक दावा करता था कि किस दोस्त ने आपको अपनी फ्रेंड लिस्ट से बाहर कर दिया है इसका पता आप इस लिंक के जरिये लगा सकते है। जैसे- जैसे लोग इस लिंक के जाल में फँसते गए ,उनसे कुछ निजी जानकारियाँ भी इस प्रोसेस में माँगी गयी। इसमें ज्यादा दिलचस्पी दिखाने वालों को मोबाईल नम्बर, पेन कार्ड नम्बर, क्रेडिट कार्ड/ डेबिट कार्ड और अकाउंट नम्बर तक इस प्रोसेस में देने थे । इस जानकारी के आधार पर शातिर ठग कईयों के पैसे उड़ा  लिये. आजकल ये लिंक फेसबुक से गायब हो चुका है ।

                 ये ठग आनलाइन सर्वे के जरिये भी शामिल होने वालों फेसबुक यूजर्स को लुभावने गिफ्ट, ईनाम आदि का वादा करके पैसों कि माँग करते है और कुछ दिनों बाद चुपके से अकाउंट  बंद कर चंपत हो लेते है । ये ठग लोगों कि भावनाओं के साथ खेल कर उन्हें भुनाने में भी पीछे नहीं रहते है । जापान में आये भूकंप की तबाही और विनाश कि ख़बरों ने दुनिया भर को विचलित कर दिया । दुनिया भर के तमाम लोग इन भूकंप पीड़ितों कि मदद के लिए सामने आने लगे । ठगों ने चैरिटी के लिए अलग-अलग जगह कई अकाउंट  बनाकर लोगों से चैरिटी के नाम पर दान देने की अपील की और  कुछ ही दिन बाद ये ठग सारे रूपये लेकर गायब हो गए ।

                 ये ठग भी नित नए - नए तरीके खोजते रहते है । कुछ दिनों पहले ब्रिटेन में ठगों ने प्रिंस हैरी के नाम पर एक फर्जी प्रोफाईल बनाई और फ्रेंडशिप के जरिये लाखों लोंगों को मित्र बनाया। जब लोगों को विश्वास हो गया तो उन्होंने इस कड़ी में प्रिंसेस डायना के नाम पर एक चैरिटी संगठन बनाकर इन सदस्यों से समाज सेवा के नाम पर दान देने की अपील की । इसमें कई लोग ठगी के शिकार बने जिनमे प्रिंस हैरी पर न्यौछावर होने वाली महिलायें ज्यादा थी ।
              हालंकि फेसबुक पर ठगी के शिकार ज्यादातर लोग विदेशों में ही हुये है क्योंकि भारत में  फेसबुक यूजर्स कम है और ये फेसबुक अभी-अभी परवान चढ़ना शुरू हुआ है । फिर भी सतर्क रहने की जरुरत है । हमारे देश में भी कई प्रसिद्ध व्यक्तियों के फर्जी प्रोफाईल सामने आये है । इस फर्जी प्रोफईलों के लिये लोग खींचे चले आते है । अतः किसी बड़े हीरो - हिरोईन या किसी अन्य लोकप्रिय व्यक्ति के नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट आये तो ज्यादा खुश होने के बजाय सतर्क होने की जरुरत है । इसके अलावा किसी भी चैरिटी और सर्वे का हिस्सा बनाए पहले से पहले दस बार सोंचना चाहिए और जहा पैसे का खेल शुरू हो या पैसे की माँग हो तुरंत वही से वापस मुड़ जाना चाहिए ।
              आये दिन हमारी प्रोफाईल में रोज नये- नये नाम धड़ल्ले से जुड़ते जा रहे है ।दोस्तों की संख्या बढ़ाने और दुसरे से आगे निकलने की होड़ में हममे से कोई भी इस बात की जहमत नहीं उठता की इसमें से कौन सही और कौन गलत है । ये ठग कभी भी आपके ही प्रोफाईल से आपके दोस्त के फोटो और जानकारी लेकर एक नयी प्रोफाईल के साथ आपमें जुड़ जायेंगे और चैटिंग के जरिये आपसे निजी जानकारी जैसे बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड नम्बर अगर प्राप्त कर सके तो  आपके अकाउंट पर आन लाइन खतरा आ सकता है । ये ठग हैकरों के मदद से आपके प्रोफाईल से ही कुछ जानकारियाँ जैसे जन्मदिन और फ़ोन नंबर लेकर आपके बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड नम्बर पता कर सकने में सक्षम है। इसलिए निजी जानकारियाँ फेसबुक पर  बिलकुल ही नहीं शेयर करनी चाहिए । 

            इन ठगों के ऊपर कार्यवाही करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि पकड़ में आने से पहले ही ये अपने नकली अकाउंट  बंद करके फरार हो चुके होते है । अपनी समझदारी ही इनसे बचने का सरल उपाय है । फेसबुक पर आप किसी भी सर्वे या प्रतियोगिता में आप हिस्सा न ले और अगर इसके लिये  आपसे पैसे जमा करने के लिये अकाउंट और क्रेडिट कार्ड नंबर माँगा जाय तब तो बिल्कुल ही नहीं । किसी चैरिटी और सामाजिक कार्य के लिये दान देने का आन लाइन तरीका तो बिल्कुल ही न अपनायें तथा अपने मोबाईल नंबर और निजी जानकारियाँ फेसबुक पर किसी अंजान को कभी न दें । 

          आज मानों फेसबुक ने एक सामाजिक क्रांति सी ला दी है । जिसका फेसबुक अकाउंट नहीं है वह जल्द से जल्द मानों  जुड़ जाना चाहता है । नए दोस्त बनाने से पहले लोग उसका फेसबुक अकाउंट पूछना नहीं भूलते । लोगों ने अपनों तथा अपने दोस्तों का एक फ्रेंड- सर्किल बना लिया है तथा बिना किसी खर्च के अपने विचार अपने दोस्तों के बीच शेयर करने लगे है । सामाजिक रिश्ते ज्यादा खुलेपन के साथ सामने आने लगे है । जो बात लोग सामने कहने से हिचकते है अब उन्हें शेयर करने की आजादी मिल गयी है । लोग पुराने तथा बिछुड़े मित्रो को भी यहाँ  सर्च करने लगे है. जैसे पूरी दुनिया लगता है एक छोटे से लैपटाप में समा गयी है ।
   
             मगर जैसे जैसे फेसबुक लोकप्रिय होता जा रहा है इसके कई नकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी सामने आने लगे है ।  एक हद तक तो फेसबुकिया प्यार ठीक है मगर  जब हद से ज्यादा फेसबुक प्रिय लगने लगे तो दुष्परिणाम तो सामने आने ही है । वास्तविक  मित्रता और हकीकत की दोस्ती से ज्यादा लोग आन लाइन और आभासी मित्रता को ज्यादा महत्व देने लगे है । अब लोग फेसबुक के जरिये आन लाइन दोस्त बनाने में ज्यादा व्यस्त है । फेसबुक दोस्तों की संख्या जहाँ   बढती जा रही वहीं पारिवारिक तथा वास्तविक दोस्त सिमटते जा रहे है । 
             फेसबुक दोस्तों को अपने बारे में अपडेट करने में जो लोग घंटों दिलचस्पी दिखाते है जबकि  उनके लिए अपने पारिवारिक  दोस्तों के लिए समय निकलना मुश्किल होता जा रहा है । इसके अतिरिक्त घर- परिवार के अन्य जरुरी काम भी इस चक्कर में गौण होने लगे है। फेसबुक पर जो समय लोग बर्बाद करते  है वो समय परिवार के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकते है। फेसबुक ने कई परिवारों को विघटन के कगार पर ला दिया है । 
           इसके अतिरिक्त फेसबुकिया दोस्त भावनात्मक स्तर पर नहीं जुड़ पाते है। जब तक वो आपसे लाईक और कमेन्ट पाते रहते है तब तक तो रिस्पांस देते रहते है अन्यथा आप सिर्फ उनके लिए फ्रेंड लिस्ट की एक संख्या भर रह जाते है। यह दोस्ती वास्तविक दोस्ती के मुकाबले काफी दुर्बल होती है । यह कभी भी और किसी भी पल हमेशा के लिए टूट सकती है।  इसलिए जो लोग भावनात्मक स्तर पर इनसे गहरे जुड़ जाते है कभी- कभी उन्हें काफी मानसिक कष्ट भी होता है जो उनकी परेशानी का सबब भी बन जाता  है। अभी हाल में ही हैकरों ने अश्लील  विडिओ और फोटो बहुतों के  वाल पर पोस्ट करके सनसनी फैला दी थी. 

              स्कुल और कालेजों के विद्यार्थी अपना बहुत सारा कीमती समय फेसबुक पर बिताने लगे है जिससे वो पढाई पर कम ध्यान दे पा रहे  है।  उनमे नए दोस्त बनाने की होड़ सी लग गयी है तथा पढ़ाई की जगह बातचीत का क्षेत्र फेसबुक के इर्दगिर्द घुमने लगा है। इसके आलावा अपने पसंदीदा महिला मित्र के कहीं मुख मोड़ने या किसी अन्य के साथ रिश्ते में बंधने पर कुछ दुष्ट प्रवृति के लोग उसके नए ब्वायफ्रेंड  के प्रोफाइल पर जाकर उक्त महिला के बारे गलत जानकारी और आलतू- फालतू बातें रिश्ते तोड़ने के लिए मेसेज कर देते है। एक ताजा घटना क्रम में एक मामला प्रकाश में आया जिसमे लड़की का मित्र उसके शादी के बंधन  में बंधने से खुश नहीं था इसलिए उसने लड़की के होने वाले पति और उनके सम्बन्धियों के  प्रोफाईल पर जाकर लड़की के बारे कई झूठी और गन्दी बाते शेयर की । वह लड़का अलग अलग आईडी से बार बार मेसेज कर रहा था । वो तो भला हो जो पुलिस के बीच में आने और दोनों पक्षों की समझदारी से यह रिश्ता बचा।

           इतना ही नहीं कुछ बदमाश लड़के नकली नाम से प्रोफाईल बनाकर अपनी ही क्लास की लड़की  से दोस्ती कर बाद में तंग करने लग जाते है। इसके अतिरिक्त फेसबुक राष्ट्र - विरोधी कार्यों में लगे लोगों के लिए एक नये हथियार के रूप में सामने आया है। इसके माध्यम से ये आसानी से सन्देश तथा जरुरी बातें अपनों तक पहुंचाकर अपनी प्रोफाईल डिलीट कर देते है। प्राईवेसी   लगी होने से इनके अकाउंट की अन्य जानकारियाँ   सबको नहीं दिख पाती और ये आसानी से चुपके -चुपके अपने काम करते रहते है। 

                  अतः जहाँ फेसबुक एक तरफ सामाजिक क्रांति के रूप में देखा जा रहा है तो दूसरी तरफ इसके दुष्परिणाम  भी कम नहीं है।  जरुरत है समझदारी से काम लेने की.  फेसबुक दोस्तों के साथ भावनात्मक स्तर पर ज्यादा न जुड़े और समय की बर्बादी कम से कम करें। इसकी जगह पारिवारिक  तथा अन्य सामाजिक चीजों को ज्यादा तरजीब दें. इसके अतिरिक्त पैसे का लेन- देन बिलकुल न करें।



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SL No.
Country
Users *
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156830580
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48041640
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46307580
4.
42596260
5.
33560800
6.
31106860
7.
30651580
8.
27107600
9.
24435760
10.
23687880

( * data source- http://www.socialbakers.com/facebook-statistics/  )