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Thursday, July 21, 2011

जो लौट के घर ना आयें......(कारगिल युद्द - मई से जुलाई 1999 )

जो लौट के घर ना आयें......

दुश्मनों को  इस सरजमीं से खदेड़ हमने अपना वादा निभाया
लो सम्हालो ये देश प्यारों अब अलविदा कहने  का वक्त आया .।।
आजाद है अब ये सरहद हमारी हौसले दुश्मनों के पस्त हुए 
मुश्किल परिस्थितियों में भी हमने उन्हें यहाँ से मार भगाया ।।
नापाक इरादे लेकर आये थे वे पलभर में हमने खाक कर दिया   
 हर चोटी पर फिर से हमने अपना झंडा ये तिरंगा फहराया ।।
इसे सम्हाल कर रखना हरदम क़ुर्बानी  फिर बेकार न जाये 
दुश्मन के नापाक परछाईयों  की फिर न पड़े कभी छायां।।
बस  भूल  न  जाना  उन्हें  जो  लौट  के  घर ना  आये 
जिसने लगा दी जान की बाजी और सब कुछ अपना गवाया ।।