एक ही डाली से तीन फूल तोड़े गये . पहला सुहागरात की सेज पर सजाया गया, दूसरा भगवान के मंदिर मे चढ़ाया गया तथा तीसरा एक शहीद की अर्थी पर सजाया गया .
पहले और दूसरे फूल बहुत खुश थे और तीसरे फूल की किस्मत पर हंस रहे थे. पहले ने कटाक्ष करते हुए कहा , " मुझे दो आत्माओ के मिलन का साक्षी होने का सौभाग्य मिला है और मेरा जीवन धन्य हो गया तथा वहीं तुम एक लाश के ऊपर ... छि ..छि ... ऐसी जलालत किसी और को न मिले.
दूसरे फूल ने भी तीसरे पर कटाक्ष करते हुए कहा " मुझे तो भगवान के माथे को चूमने का सौभाग्य मिला है. मै तो सीधा स्वर्ग का अधिकारी हूँ.
तीसरा वाला फूल शहीद की अर्थी के साथ - साथ जल गया शहीद को स्वर्ग मे स्थान दिया जा रहा था. शहीद ने स्वर्ग देवता से प्रार्थना की , " देव इस फूल ने आखिरी वक्त तक मेरा साथ दिया और मेरे साथ इसने भी अपनी शहादत दी है अतः यह भी स्वर्ग का अधिकारी होना चाहिए . "
पहला फूल अगली सुबह मसल- कुचल जाने के बाद घर के पीछे एक नाली मे पड़ा आंसू बहा रहा था , दूसरा फूल सुबह के साथ - साथ झाड़ू से बटोर कर कूड़ेदान मे डाला जा चुका था और तीसरा फूल अपनी शहादत के साथ स्वर्ग मे स्थान पा चुका था.